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कोरोना इफेक्ट: गुजरात सरकार ने वाइब्रेंट समिट स्थगित करने का किया फैसला

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गांधीनगर: वाइब्रेंट गुजरात समिट-2022 की तैयारियों के पीछे करोड़ो रुपया खर्च करने के बाद गुजरात सरकार ने कोरोना के बढ़ते केस की वजह से वाइब्रेंट समिट को स्थगित करने का फैसला किया है.

मिल रही जानकारी के अनुसार मोजाम्बिक प्रतिनिधिमंडल ने गुजरात आने से इनकार कर दिया था. गुजरात सरकार ने इस पर आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने मंगलवार रात इस बात की पुष्टि की कि मोजाम्बिक के राष्ट्रपति फिलिप न्यूसी और उनकी पत्नी इसौरा की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. जिसकी वजह से उनके नेतृत्व में आने वाला प्रतिनिधिमंडल 10 जनवरी को गांधीनगर का दौरा नहीं करेगा.

गौरतलब है कि हमने कल ही लिखा था कि गुजरात की राजधानी में वाइब्रेंट समिट होने से पहले ही कोरोना बेकाबू हो गया है. पिछले 24 घंटों में कोरोना के 35 मामले सामने आए हैं और संक्रमित मरीजों की संख्या 117 हो गई है. खास बात यह है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग के सचिव मनोज अग्रवाल भी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. वह 3 जनवरी को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक में शामिल हुए थे. फिलहाल मनोज अग्रवाल अपने आवास पर होम आइसोलेट हो गए हैं.

मनोज अग्रवाल के अलावा गांधीनगर कर्मयोगी भवन में नगर प्रशासक आयुक्त और गुजरात शहरी विकास के एमडी राजकुमार बेनीवाल की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. राजकुमार बेनीवाल को इस साल के वाइब्रेंट समिट-2022 में उनके पिछले वाइब्रेंट के अनुभव को देखते हुए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी गई है.

गांधीनगर में कोरोना के बढ़ते आतंक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी चपेट में कई सरकारी अधिकारी आ चुके हैं. समिट से पहले 5 आईएएस अधिकारी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. जेपी गुप्ता, सचिव (पर्यटन) हरीत शुक्ला, आयुक्त (स्वास्थ्य) जेपी शिवहरे का नाम शामिल है. इन तमाम के कंधे पर समिट को सफल बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. लेकिन सवाल यह उठता है कि तैयारी के नाम पर लोगों के टेक्स से वसूला गया करोड़ रुपया खर्च ही क्यों किया गया?

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