दिसंबर 2018 में लंदन की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने विजय माल्या को ब्रिटेन से भारत को प्रत्यर्पित करने को कहा था. धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे शराब कारोबारी विजय माल्या ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले में सुनवाई चल रही है जो लंदन हाईकोर्ट में तीन दिनों तक चलेगी. मालूम हो कि माल्या 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाने में विफल रहने पर दो मार्च 2016 को भारत से पलायन कर गया था. उसने अब परिचालन से बाहर हो चुकी अपनी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए यह कर्ज लिया था.
इससे पहले दिसंबर 2018 में लंदन की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भगोड़े विजय माल्या को ब्रिटेन से भारत को प्रत्यर्पित करने को कहा था. मंगलवार को विजय माल्या जब कोर्ट पहुंचे तो उन्होंने केस पर कुछ भी कमेंट करने से इनकार कर दिया. उन्होंने मीडिया से कहा, ‘नए साल की ढेरों शुभकामनाएं. आप सबको यहां देखकर खुशी हुई. मैं इस केस पर कोई कमेंट नहीं कर सकता. मैं यहां बस सुनने आया हूं.’ वहीं माल्या के वकील ने दावा किया कि मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश में कई त्रुटियां हैं. क्लेयर मोंटगोमेरी ने अपनी दलीलें रखते हुए कहा कि माल्या ने जब अपनी (अब बंद हो चुकी) किंगफिशर एयरलाइंस के लिए कुछ कर्ज मांगा था तब उसकी धोखाधड़ी करने की कोई मंशा नहीं थी.
माल्या के वकील ने कहा कि वह रातोंरात भागने वाली हस्ती नहीं थे बल्कि एक बिल्कुल समृद्ध व्यक्ति थे और वह कोई पोंजी स्कीम जैसा कोई धंधा नहीं कर रहा थे बल्कि प्रतिष्ठित एयरलाइंस चला रहा थे जो अन्य भारतीय एयरलाइनों के साथ आर्थिक बदकिस्मती का शिकार हो गए. भारत ने 2017 में माल्या के खिलाफ प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू की थी जिसका उसने विरोध किया. वह इस समय जमानत पर लंदन में है. वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत की चीफ मजिस्ट्रेट न्यायाधीश एम्मा अर्बुथनोट ने उस समय माल्या के मामले को गृह सचिव साजिद जावेद के पास भेज दिया था. उन्होंने भी फरवरी में प्रत्यर्पण की मंजूरी दी.