आखिरकार कानपुर पुलिस हत्याकांड का मुख्य आरोपी विकास दुबे पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया. उसे आज सुबह मध्यप्रदेश पुलिस ने नाटकीय अंदाज में उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया गया है. विकास की जिस तरह से गिरफ्तारी हुई, उसे लेकर विपक्षी दल खासकर कांग्रेस की ओर से संदेह जताया जा रहा है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से लेकर प्रियंका गांधी तक विकास की गिरफ्तारी पर सवाल उठा चुके हैं.
इस बीच छत्तीसगढ़ कांग्रेस की ओर से किए गए ट्वीट में मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मामले को जोड़ने की कोशिश की गई है. उन्होंने कहा, ‘नरोत्तम मिश्रा उप्र विधानसभा चुनाव में कानपुर प्रभारी थे, विकास दुबे ने उस राज्य में आत्म समर्पण किया जहां नरोत्तम मिश्रा गृह मंत्री हैं. यह संयोग है, प्रयोग है या फिर सत्ता का दुरुपयोग है?
नरोत्तम मिश्रा उप्र विधानसभा चुनाव में कानपुर प्रभारी थे, विकास दुबे ने उस राज्य में आत्म समर्पण किया जहाँ नरोत्तम मिश्रा गृह मंत्री हैं।
यह संयोग है, प्रयोग है या फिर सत्ता का दुरुपयोग है? – @rpsinghraipur pic.twitter.com/AHufebzd0Q
— INC Chhattisgarh (@INCChhattisgarh) July 9, 2020
मालूम हो कि विकास दुबे कई पार्टियों का सदस्य रहा है, इसमें बीजेपी भी शामिल रही है. यूपी बीजेपी के कुछ नेताओं से उसके नजदीकी कनेक्शन होने की बात भी मीडिया रिपोर्ट में आ चुकी है. ऐसे में इस तरह की भी अटकलें सामने आ रही हैं कि उसे एनकाउंटर से बचाने के लिए इस तरह से गिरफ्तारी कराई गई है.
मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने इस मुद्दे पर सिलसिलेवार ट्वीट किए हैं. उन्होंने कहा, दुर्दांत गैंगस्टर विकास दुबे को मध्यप्रदेश की पुलिस नहीं पकड़ती है उसे महाकाल मंदिर का स्टाफ पकड़ता है. मध्यप्रदेश समर्पण का सबसे सुरक्षित स्थान है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह गिरफ्तारी का श्रेय लेने में जुटे हैं. इसके अलावा मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी गिरफ्तारी की परिस्थितियों को लेकर संदेह जताते हुए मामले की न्यायिक जांच की मांग की है.
गौरतलब है कि यूपी के 8 पुलिसवालों की हत्या के बाद छह दिन से फरार गैंगस्टर विकास दुबे की गुरुवार सुबह उज्जैन से गिरफ्तारी हुई. इसे पुलिस की कार्रवाई कम और विकास दुबे का सोचा-समझा सरेंडर ज्यादा माना जा रहा है. छह दिन तक वह चार राज्यों में घूमता रहा. इस दौरान 1250 किलोमीटर का सफर उसने बाइक, ट्रक, कार और ऑटो से तय किया. यूपी पुलिस के 100 जवान उसकी तलाश में थे, लेकिन वह गिरफ्त से दूर रहा. उसे आखिरकार महाकाल मंदिर के गार्ड ने पहचाना और निहत्थे सिपाहियों ने पकड़ लिया.
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