चीन की तमाम धमकियों के बावजूद अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ताइवान के दौरे पर गईं. वह 19 घंटों तक ताइवान की राष्ट्रपति और वहां के अधिकारियों से मुलाकात कर रहती रहीं. धमकियों के बावजूद पेलोसी की यात्रा इस बात का सबूत है कि अमेरिका को चीन की चेतावनियों की परवाह नहीं है. पेलोसी ने ताइवान को आश्वस्त किया कि अमेरिका उनके साथ है. पेलोसी के दौरे के बाद चीन ने ताइवान का चौतरफा घेराव कर लिया है.
भौगोलिक रूप से चीन दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है और ताइवान की गिनती दुनिया के सबसे छोटे देशों में होती है. आर्थिक रूप से दोनों देशों की तुलना नहीं की जा सकती. लेकिन जब इन दोनों देशों के बीच युद्ध का खतरा मंडरा रहा है तो दुनिया एक अलग ही तनाव में है. ऑटो टू स्मार्टफोन उद्योग पहले से ही चिप की कमी से जूझ रहा है. अगर ताइवान के हालात बिगड़ते हैं तो संकट और भी गहरा होगा क्योंकि छोटा देश ताइवान सेमीकंडक्टर्स के मामले में दुनिया का कारखाना है.
महंगा हो जाएगा इलेक्ट्रॉनिक्स सामान
नैंसी पेलोसी के दौरे के बाद जो स्थिति बनी है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन के इरादे ठीक नहीं हैं. ताइवान पर हमला किया जाता है, तो इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, कारों की कीमतें निश्चित रूप से बढ़ जाएंगी. बाजार से इलेक्ट्रॉनिक सामान भी गायब हो सकता है. कोरोना महामारी के दौरान जब ताइवान के साथ सप्लाई चेन टूट गई तो दुनिया को समझ में आ गया कि ताइवान के बाजार में न होने का क्या मतलब है.
कई बड़ी कंपनियां ताइवान से सेमीकंडक्टर्स खरीदती हैं
सेमीकंडक्टर्स से होने वाली दुनिया की कुल कमाई में ताइवान की कंपनियों की हिस्सेदारी 54 फीसदी है. जिसमें से सबसे बड़ा योगदान ताइवान की कंपनी TSMC का है. TSMC अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी है. Apple, Qualcomm, Nvidia, Microsoft, Sony, Asus, Yamaha, Panasonic जैसी दिग्गज कंपनियां इसकी ग्राहक हैं. ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी दुनिया के 92 प्रतिशत उन्नत सेमीकंडक्टर्स का उत्पादन करती है.
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