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सुभाष की टोपी पहन गुजरात के उपमुख्यमंत्री ने कहा- आजादी का नारा लगाने वाले छोड़ सकते हैं देश

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तुंवर मुजाहिद खान, गांधीनगर: जब रेगिस्तान में ऊंट कांटेदार वनस्पति को खाता है तो उस वह खाने में मजा आता है, कभी आपने सोचा है कि क्यों? ऊंट कांटेदार पौधे की डालियों को खाता है उस समय उसके मसूड़े से खून निकालता है. उस खून उसके खाने का मजा बढ़ जाता है, उसे लगता है कि जिस वनस्पति को वह खा रहा है वह काफी अच्छा है और निकले वाला खून भी इसी वनस्पति का है. बिल्कुल ऐसा ही इन दिनों देश के गैर-मुस्लिमों का है. उन्हें लगता है कि मुसलमानों को मज़ा चखाने के लिए जो काम किया जा रहा उसकी कीमत कितना भयंकर होगा. उन्हें मालूम नहीं कि भाजपा पहली ऐसी सरकार है जो जनमत को मानव विरोधी बना रही है.

वास्तव में देश की बहुसंख्यक आबादी विभिन्न जातियों और उप-जातियों में विभाजित है. जिन्हें हिंदुत्व और भगवाकरण के द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है. उनके सामने राम राज्य चित्र खड़ा किया जाता है. लेकिन वास्तव में राम राज्य तब आएगा जब देश में शांति और भाईचारे का माहौल होगा. इन दिनों देश में महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा के गिरते स्तर के साथ ही साथ आर्थिक संकट, प्रदूषण, स्वास्थ्य संकट जैसी महामारियां की वजह से गहरी और अंधेरी खाई में दिन ब दिन गिरता जा रहा है. बावजूद इसके सियासत करने वाले लोग हिन्दुस्तान के हिन्दुस्तानियों को दो हिस्सों में विभाजित कर रहे हैं.

राजनीतिक दल से जुड़े लोग देश के एक समाज के लोगों को राजद्रोही के रूप में चित्रित करने का काम कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही बयान देते हुए नजर आए गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल जिन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “जिन्हे आजादी चाहिए उनके लिए देश का दरवाजा खुला है” जनता का वोट हासिल कर मलाईदार कुर्सी (उपमुख्यमंत्री) नितिन पटेल उन्हीं को देश छोड़कर जाने की धमकी दे रहे हैं. राजनीतिक दल से जुड़े ऐसे लोगों को लगता है वह राजशाही चला रहे हैं और जनता उनकी गुलाम है.

गुजराती मीडिया का स्तर इतना नीचे जा रहा है कि अगर कोई नेता पानी पीता है, तो भी वह उसकी प्रशंसा करना शुरू कर देते हैं. वाह क्या पानी पिया है, और इस खबर को लोगों के लिए ज्ञान और नसीहत देने वाला मानकर पूरे दिन टीवी पर चलाया जाता है. इतना ही नहीं गुजरात की एक और बदकिस्मती है कि विपक्ष भी किसी मुद्दे पर सरकार से सवाल करना ही नहीं चाहती.

देश में इन दिनो महंगाई और आर्थिक मंदी के साथ ही साथ बेरोजगारी भी अपने चरम सीमा पर है, लेकिन इसी बीच मोदी सरकार ने एक ऐसा कानून ताकत के दम पर सदन में पास करवा लिया जिससे देश की संविधान के मूल भावना को ठेस पहुंच रहा है. जिसके खिलाफ इन दिनों लोग अपना काम धंधा, रोजी-रोटी छोड़कर इसका विरोध कर रहे हैं. इस मौके पर हालात को संभालने की जगह पर बीजेपी के नेता यहां भी अपने सांप्रदायिक बुद्धीमत्ता का खुलेआम प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में गुजरात के उपमुख्यमंत्री कैसे पीछे रह सकते थे. उन्होंने भी अपने छोड़ी सोचा का मुजाहरा लोगों के सामने किया पटेल ने कहा कि “एक वर्ग को मिर्ची लग रही है इसलिए प्रदर्शन किया जा रहा है. उन्हें समझना चाहिए कि वह कश्मीर में नहीं है. यहीं पर वह नहीं रुके इसके आगे उन्होंने आईआईएम के छात्रों पर निशाना साधते हुए कहा कि ना जाने कौन से राज्य आ जाते हैं और जब देखो IIM दीवार के बाहर पोस्टर लेकर खड़े हो जाते हैं“.

नितिन पटेल भूल रहे हैं कि जिन्हे वह एक जमात मान रहे हैं उसके बिना हिंदुस्तान को पूरा करना मुमकिन ही नहीं. वह समाज सरकार द्वारा बनाए गए कथित काले कानून का विरोध कर रहे हैं. लाखों रुपये देकर IIM में पढ़ने वाले छात्र भारत का भविष्य. वे किसी भी राज्य से आते हैं लेकिन वे हिंदुस्तान के नागरिक हैं. हिंदुस्तान देश के एक-एक नागरिकों में से मिलकर संपूर्ण देश बनता है. ऐसे में अगर एक नागरिक के साथ अन्याय होता है तो माना जाएगा कि पूरे देश के साथ अन्याय हो रहा है. लेकिन नितिन पटेल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए पूरे मुस्लिम समाज को निशाना बना रहे हैं, मुस्लिम समाज की खिल्ली उड़ाकर दूसरे समाज के लोगों को गुमराह कर रहे हैं.

राजनीतिक लोग स्थिति को देखकर अपने बयान से पीछे मुड़ जाते हैं, इसका एक बड़ा उदाहरण नितिन पटेल खुद ही हैं, जब पाटीदार आरक्षण को लेकर गुजरात में आंदोलन चल रहा था उस वक्त उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था. उपमुख्यंत्री रहते हुए उन्ही के इशारे पर पाटीदार आरक्षण की मांग को लेकर होने वाले आंदोलन को पुलिस ने तोड़ने के लिए आंदोलनकारियों पर दमन किया. जिसमें पूरे गुजरात में 18 से अधिक पाटीदार युवक मारे गए थे. वह मुस्लिम नहीं थे, वह उनके ही समाज के लोग थे. फिर भी राजनीतिक स्वार्थ की इच्छापूर्ती के लिए उनपर दमन करवाया गया. इस मामले को देखने के बाद आईने की तरह साफ हो जाता है नेताओं के लिए धर्म या जाति कोई मायने नहीं रखती, बल्कि सत्ता महत्वपूर्ण होता है उनके नजदीक. वे सत्ता हासिल करने के लिए किसी भी धर्म या जाति के लोगों पर अत्याचार करने से नहीं हिचकिचाते.

नितिन पटेल को देश का संविधान नागरिकों को देश छोड़कर जाने की धमकी देने का अधिकार तो नहीं देता. आजादी से पहले अंग्रेज आजादी का नारा लगाने वालों के खिलाफ देशद्रोह के कानून के तहत मामला दर्ज करने उनको खामोस करने की कोशिश करते थे. बिल्कुल वैसा ही इन दिनों आजादी का नारा लगाने वाले लोगों को देश छोड़कर जाने की धमकी दी जा रही है. इसका सबसे बढ़िया उदाहरण उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है जहां पर बाबा योगी आजादी का नारा लगाने वाले लोगों पर राजद्रोह का केस लगाने की धमकी दे रहे हैं.

नितिन पटेल असंवैधानिक बयान देकर देश के भाईचारा को तोड़ने का काम कर रहे हैं. जब से सीएए और एनआरसी को लागू करने की बात की जा रही है तभी से मुस्लिम समुदाय के सहारे बहुसंख्यक समुदाय के लोगों को खुश करने की कोशिश की जा रही है. इसीलिए देश भयंकर विभाजन की ओर बढ़ रहा है. अंग्रेजों ने देश को दो टुकड़ों में तोड़ दिया था. लेकिन भाजपा अंग्रेजो की दूसरी टीम के रूप में काम कर अलग-अलग जाति से जुड़े लोगों के दिलों में खाई बनाने की कोशिश कर रही है, बीजेपी के नेताओं के अलग-अलग बयान के बाद NRC और CAA को लेकर लोगों के दिलों में डर और भय पैदा हो रहा है. जिससे वर्तमान में देश की जो मूल समस्या है उससे लोगों का ध्यान भटकाया जा सके. इन दिनों देश की हालत पाकिस्तान से भी खराब होती जा रही है लेकिन सत्ताधारी बीजेपी मीडिया की मदद से लोगों के आंख पर ऐसी पट्टी बांधकर असल मुद्दों से लगातार भटकाने की कोशिश कर रही है.

ऐसे में यह सभी लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि देश में शांति के माहौल से रहने के लिए सभी को एक होकर रहना पड़ेगा. राजनीति का खेल खेलने वाले नेता शानदार जीवन जीते हैं. वे विवाद को जन्म देने वाले भाषण कर अपना स्वार्थ साधने की कोशिश करते हैं. इन दिनों सियासत से जुड़े लोगों का जो बयान सामने आ रहा है उसे देखने और सुनने के बाद ऐसा लगता है कि इन लोगों से देश की भला का कल्पना करना महा मूर्खता होगी.

देश में हिंदू-मुसलमान वर्षों से साथ रह रहे हैं. मुगलों का 400 से अधिक वर्षों का इतिहास है. उस समय, हिंदू समाज की प्रगति हुई थी. ऐसे में अब हिंदू शासक होने के बाद अचानक देश भर के हिंदू कैसे खतरे में आ गये. ये समझना पड़ेगा कि यह एक भय है जो देश भर के हिंदुओं के मन में घुसाया जा रहा है कि मुसलमान देश पर कब्जा कर लेंगे.

राजनेताओं ने देश के महत्वपूर्ण मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाया

1. देश की एक भी विश्वविद्यालय शीर्ष 200 में नहीं आ रहा है, सरकार ने 125 करोड़ की आबादी के लिए पिछले 6 वर्षों में 100 सीटों वाली एक भी विश्वविद्यालय नहीं बनाया है. इसके विपरीत, जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों की फीस बढ़ा दी गई.

2. देश को एक भी अस्पताल नहीं दिया गया. एक भी एम्स अभी तैयार नहीं हुआ. इससे बिल्कुल हटकर अस्पतालों की स्थिति को और भी खराब कर दिया गया. इन दिनों भारत में हर मिनट एक नवजात की मौत हो रही है.

3. दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष 10 शहरों में से 7 हमारे देश में हैं.

4. भ्रष्टाचार सूचकांक में सबसे भ्रष्ट देशों में सबसे ऊपर है.

5. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुपोषित बच्चों की संख्या सबसे अधिक है.

6. डेमोक्रेसी इंडेक्स में भी देश को 10 अंकों का नुकसान हुआ है.

7. “चालू खाता घाटा” का अर्थ है कि सरकार का नुकसान पिछले कुछ वर्षों में अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है.

8. 100 स्मार्ट सिटी में से कोई भी स्मार्ट सिटी तैयार नहीं है.

9. जीडीपी अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है, जो 8 के आसपास था वह आज 4 पर है. ऐसे वक्त में भी सरकार NRC को लेकर बैठी है.

10. सरकारी आंकड़ों के अनुसार रोजगार के आंकड़े पिछले 40 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं.

11. एनपीए का मतलब है कि बैंकों का नुकसान जो सदी के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.

12. रिजर्व बैंक से धन मांग-मांग कर देश के केंद्रीय बैंकों की हालत को इतना खराब कर दिया गया है कि दो-दो गवर्नर अबतक इस्तीफा दे चुके हैं.

लेकिन एक मध्यवर्गीय हिंदू सोचता है कि कम से कम हमारा धर्म तो बच गया है. प्रधानमंत्री अच्छा भाषण कर रहे हैं, संस्कृत पर चढ़ रहे हैं. दिवाली पर शानदार दीप जला रहे हैं. यूएन में हिंदी में भाषण दे रहे हैं. विदेशी उल्कापीडों तक भारत का नाम रोशन हो रहा है. इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हो गया है. हां एक और महत्वपूर्ण सवाल गुजरात सरकार मुस्लिम देशों में रोड शो कर वहां के बच्चों को गुजरात में अच्छी शिक्षा देने के लिए लाने वाली है क्या उपमुख्यमंत्री उन्हे लाने के बाद ऐसे ही निशाना बनाने वाले हैं?

https://archivehindi.gujaratexclsive.in/demand-for-muslim-mla-from-gujarat-congress-pakistani-hindus-get-indian-citizenship/