पूरे भारत में इन दिनों भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. कश्मीर से लेकर राजधानी दिल्ली तक और बंगाल से लेकर गुजरात तक देश के तमाम हिस्सों में भूकंप ने लोगों की जान संकट में डाल रखा है. दिल्ली-एनसीआर में तो पिछले दो महीनों में दर्जनों बार भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं.
अक्सर देखा गया है कि भूकंप आने के बाद लोग पैनिक यानी घबड़ा जाते हैं. उन्हें समझ में नहीं आता कि क्या करें और इतने ही देर में अनहोनी हो जाती है. भूकंप का असर आमतौर पर कुछ सेकेंड्स का होता है. ऐसे में इस दौरान ही आपको जल्दी फैसला लेना पड़ता है कि क्या करें. खासतौर से उन्हें जो एक बड़े परिवार में रहते हैं और जिनके परिवार में बड़े-बूढों के अलावा बच्चे भी रहते हैं. आइए आज जानते हैं कि भूकंप आने पर आपको क्या करना चाहिए…
भूकंप आए तो क्या करें
- अगर आप किसी इमारत के अंदर हैं तो किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे छिप जाएं.
- यदि कोई मेज या ऐसा फर्नीचर न हो तो अपने चेहरे और सर को हाथों से ढंक लें
- कुछ ना मिले तो कमरे के किसी कोने में दुबककर बैठ जाएं.
- अगर आप इमारत से बाहर हैं तो लंबी इमारत, पेड़, खंभे और तारों से दूर हट जाएं.
- अगर आप किसी वाहन में सफर कर रहे हैं तो तुरंत रुक जाएं और वाहन के अंदर ही बैठे रहें.
- अगर आप मलबे के ढेर में दब गए हैं तो हिले-डुले नहीं और ना ही माचिस जलाएं.
- मलबे में दबे होने की स्थिति में किसी पाइप या दीवार पर हल्के-हल्के थपथपाएं.
- जरूरत पड़ने पर मदद के लिए लोगों को आवाज लगाएं.
- अपने घर में हमेशा आपदा राहत किट तैयार रखें.
भूकंप आता कैसे है?
पृथ्वी की बाहरी सतह सात प्रमुख और कई छोटी पट्टियों में बंटी होती है. 50 से 100 किलोमीटर तक की मोटाई की ये परतें लगातार घूमती रहती हैं. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें (प्लेटें) इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं.
भारतीय उपमहाद्वीप को भूकंप के खतरे के लिहाज से सीसमिक जोन 2,3,4,5 जोन में बांटा गया है. पांचवा जोन सबसे ज्यादा खतरे वाला माना जाता है. पश्चिमी और केंद्रीय हिमालय क्षेत्र से जुड़े कश्मीर, पूर्वोत्तर और कच्छ का रण इस क्षेत्र में आते हैं.
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