वाट्सऐप (WhatsApp) विवाद में कड़ा रुख अपनाते हुए भारत सरकार ने वाट्सएप की जमकर क्लास लगाई है. भारत सरकार ने दो टूक शब्दों में पालिसी में किए गए बदलावों को वापस लेने को कहा है. सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नालॉजी मंत्रालय ने व्हाट्सऐप (WhatsApp) के सीईओ को पत्र लिखाकर अपना कड़ा रुख जाहिर किया है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में वाट्सऐप (WhatsApp) के सीईओ विल कैथकार्ट को पत्र लिखकर प्रस्तावित पॉलिसी को लेकर कड़ा ऐतराज जताया गया है. पत्र में कहा गया है कि वाट्सएप को भारतीय यूज़र्स की प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी का सम्मान करते हुए प्रस्तावित पॉलिसी को वापस लेना चाहिए.
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पत्र में उन्होंने कहा है कि भारतीय यूजर्स के लिए नई टर्म्स ऑफ सर्विस और प्राइवेसी पॉलिसी को वापस लिया जाए. MEITY ने व्हाट्सऐप के ग्लोबल CEO विल कैथर्ट को यह पत्र लिखा है, इसमें मंत्रालय ने यूजर्स की इंफर्मेशन सिक्यूरिटी पर सवाल उठाया और कहा कि चैट का डेटा बिजनेस अकाउंट से शेयर करने से फेसबुक की अन्य कंपनियों को यूजर्स के बारे में सारी सूचनाएं मिल जाएंगी. इससे उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है. मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पत्र में कुल मिलाकर वाट्सऐप (WhatsApp) से 14 सवालों पर भी जवाब मांगे गए हैं.
मंत्रालय के मुताबिक, व्हाट्सऐप का यह कहना कि या तो मानिए या फिर छोड़िए, यूजर्स को नई टर्म्स को मानने पर मजबूर कर रहा है. इसमें उन्हें इनकार करने की गुंजाइश नहीं है. सरकार ने व्हाट्सऐप को सुप्रीम कोर्ट के 2017 फैसले में आए प्राइवेसी नियमों को बारे में ध्यान दिलाया है.
मंत्रालय ने पूछा है कि ऐसे समय जब भारतीय संसद में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पर चर्चा चल रही है, यह व्हाट्सऐप (WhatsApp) यह नीति क्यों लाया? यह बिल संयुक्त संसदीय समिति के पास विचाराधीन है. इसमें डेटा के लिए परपज लिमिटेशन का प्रावधान है यानी कंपनी जिस काम के लिए यूजर का डेटा ले रही है केवल उसी के लिए इस्तेमाल कर सकती है और इसके लिए यूजर की सहमति आवश्यक है.