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#Column: क्या दिल्ली की तरह गुजरात के अस्पतालों में लगेगा CCTV कैमरा?

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राजधानी दिल्ली के बाद अब गुजरात में भी इस बात पर चर्चा चल रही है कि राज्य को भी कोरोना मरीजों के लिए समर्पित अपने अस्पतालों में सीसीटीवी कैमेरे लगाने का आदेश दिया जा सकता है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में स्थिति की समीक्षा की और इसके बाद सोमवार को आदेश दिया था कि राजधानी के सCभी कोरोना के लिए समर्पित अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए ताकि मरीजों की उचित निगरानी हो सके.

दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के साथ दुर्व्यवहार की गंभीर शिकायतें सामने आई थीं. शवों को लावारिस छोड़ दिया गया और इस तरह के अन्य वीडियो वायरल हुए जिससे राज्य को बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ी और इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी. इसी तरह के आरोप कोरोना के लिए समर्पित अहमदाबाद के सिविल अस्पताल और एसवीपी अस्पतालों की सुविधाओं के बारे में भी लगाए गए थे. मरीजों के देखभाल को लेकर और खराब स्वच्छता व्यवस्था की शिकायतें सामने आईं थीं.

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एक ऐसा मामला भी सामने आया था जब एक कोरोना मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था और बाद में उसका शव दानिलिमदा के बीआरटीएस बस स्टेशन पर मिला था. गुजरात के सबसे बड़े कोरोना के लिए समर्पित सिविल अस्पताल में मरीजों के साथ खराब बर्चाव के कई मामले सामने आए और इसके परिणामस्वरूप कोरोना पॉजिटिव पाए गए कई नगर पार्षदों और विधायकों ने सरकारी अस्पतालों के बजाय प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराना बेहतर समझा. प्राइवेट अस्पतालों से मरीजों के भागने की कई शिकायतें ने भी गुजरात उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर किया जिसके बाद अहमदाबाद नगर निगम ने ऐसे अस्पतालों द्वारा लगाए जाने वाली अधिकतम फीस की सीमा तय कर दी.

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ऐसी स्थिति में कई विशेषज्ञों का मानना है कि गुजरात के कोरोना अस्पतालों में सीसीटीवी लगाना बुद्धिमानी भरा फैसला होगा. दिल्ली के अस्पतालों में सीसीटीवी लगाना एक स्वागत योग्य कदम है और विशेषज्ञों का मानना है कि गुजरात को भी इस मामले में गृह मंत्री की सलाह का अनुशरण करना चाहिए.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जो दो दशकों से गांधीनगर, गुजरात की नौकरशाही और राजनीति को करीब से देख रहै हैं)